Corona virus: जानें प्रभावित होने पर क्या करें और क्या ना करें?

Corona virus: जानें प्रभावित होने पर क्या करें और क्या ना करें?

अम्बुज यादव

कोरोना वायरस अब पूरे विश्व में महामारी के तौर पर फैल चुका है। इसकी वजह अब तक करीब आठ हजार लोगों की मौत हो चुकी है और तकरीबन 2 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं। यही नहीं यह आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा है। वहीं कोरोना वायरस को लेकर डब्ल्यूएचओ ने कई तरह की एडवाइजरी जारी की है, जिसमें लोगों को कोरोना से बचने के लिए आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है। साथ ही यह भी लोगों को बताया गया है कि कोरोना के थोड़े भी लक्षण अगर आपको दिखाई दे तो तुंरत डॉक्टर की सलाह ले और हो सके तो स्क्रीनिंग कराएं। इसके अलावा जब तक कोरोना का असर कम नही होता है तब तक भीड़ भाड़ वाले इलाकों से दूर रहें और घर में खुद को आइसोलोशन में रखें। ऐसी स्थिति में भी अगर आप बीमार होते हैं तो आप क्या करें यह आज हम आपको बताएंगे। तो आइए जानते हैं कि बीमार होने पर हमें क्या करना चाहिए?

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अगर बीमार महसूस कर रहे हैं तो क्या करें?

1. अगर आपको कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण नज़र आएं तो फौरन डॉक्टर की सलाह लें।

2. अपनी सेहत का विशेष ख्याल रखें। शरीर के तापमान को थर्मामीटर की मदद से दिन में दो बार ज़रूर मापें। अगर बुखार, सुखी खांसी, गले में खराश, सिर दर्द, थकान और सांस लेने में तकलीफ हो तो डॉक्टर की सलाह लें। 

3. घर पर हैं तो अपने कमरे से बाहर न निकलें। 

4. अगर आप अपने परिवार के साथ घर पर रहते हैं, तो सभी से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें। कोशिश करें कि एक अगल कमरे में रहें और अलग बाथरूम का उपयोग करें। साथ ही घर पर किसी बाहर के इंसान को न बुलाएं।  

5. अगर आपको ऐसा लगे कि डॉक्टरी सलाह की ज़रूरत है, तो तुरंत डॉक्टर से अपने हाल के दिनों में किए गए दौरे के बारे में ज़रूर बताएं। जब कभी लोगों के बीच जाएं या अस्पताल जाएं तो मास्क ज़रूर पहनें।

6. अपने साथ हमेशा टिशु पेपर और हैंड सेनिटाइज़र जरूर रखें, जिसमें 60 प्रतिशत अल्कोहल हो। जब कभी टिशु पेपर का इस्तेमाल करें तो उसका दोबारा इस्तेमाल न करें, बल्कि उसे डस्टबीन में डालें।

7. अपने हाथों को हर एक घंटे में धोंए। वहीं, अगर आप काउंटर, टैबलटॉप, डोरनॉब्स, बाथरूम फिक्सचर्स, टॉयलेट, फ़ोन, कीबोर्ड, टेबलेट्स आदि चीज़ों को छुते हैं तो वायरस को फैलने से रोकने के लिए अपने हाथों को ज़रूर धोएं। 

8. किसी की तरह मुंह करके न छीकें या खांसे। हमेशा अपना मुंह या नाक टिशू या फिर हाथ की कोहनी से ढकें। इसके बाद हमेशा साबुन और पानी से हाथ धोएं या फिर हैंडसेनिटाइज़र का इस्तेमाल करें। 

9. जब आप आइसोलेशन में रहें तो ज़रूरी है कि घर के बाकी लोगों के साथ ग्लास, तौलिया, खाने के बरतन, बेडशीट आदि चीज़ें भी न शेयर करें।

10. ऐसे कमरे में रहे जहां का वायु संचालन अच्छा हो। एयर कंडीशनर का इस्तेमाल करें या फिर खिड़कियां खोलें।

11. अगर आइसोलेशन के समय आपकी तबियत ज़्यादा खराब होने लगती है, तो तुरंच अपने डॉक्टर की सलाह लें और उन्हें अपने लक्षणों के बारे में बताएं।

12. अच्छी तरह धुले कपड़े पहनें और आइसोलेशन के लिए सही मात्रा में भोजन का इंतज़ाम कर लें। अपने खाने में उन चीज़ों को जरूर जोड़ें, जिसे तैयार करने में ज़्यादा समय न लगे। 

क्या सबको स्क्रीनिंग की ज़रूरत है?

सबसे पहला और बड़ा सवाल यह है कि क्या सभी लोगों को आइसोलेशन की ज़रूरत है। इसके लिए ज़रूरी है कि स्क्रीनिंग बूथ पर जाकर अपना चेक-अप कराएं। अगर आपको सुखी खांसी, बुखार, सिर दर्द जैसी समस्या हो तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। साथ ही स्क्रीनिंग कराने की भी ज़रूरत है। हालांकि, इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है कि स्क्रीनिंग बूथ किस-किस जगह है। ऐसे में हेल्प लाइन की सहायता लें। आप चाहे तो तत्काल नज़दीक के डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। 

सभी लोग घर पर नहीं रह सकते

कोरोना वायरस के टेस्ट से ज़्यादा बड़ी समस्या जो पूरी दुनिया झेल रही है, वह ये है कि सभी नागरिकों के टेस्ट के बाद क्या करना होगा? सभी लोग घर पर नहीं रह सकते हैं। ऐसा कहना भी ग़लत है कि जिन लोगों के लक्षण हल्के हैं, वो घर पर आइसोलेशन में रह सकते हैं। अगर कोरोना वायरस के लक्षण हल्के हैं, तो इसके बावजूद मरीज़ को मेडिकल केयर की ज़रूरत पड़ेगी। कोरोना वायरस की शुरुआत बुख़ार, खांसी और निमोनिया के कुछ लक्षणों से होती है। जिन मरीज़ों को ऑक्सीजन के सपोर्ट की आवश्यकता नहीं होती है उनके लक्षणों को दुनिया भर में हल्का माना जाता है। वहीं, जिन मरीज़ों को वेंटीलेटर के ज़रिए ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है, उनके लक्षणों को गंभीर माना जाता है। गंभीर रूप से संक्रमित मरीज़ अक्सर रेस्पीरेट्री फेलियर या फिर ऑर्गन फेलियर के शिकार हो जाते हैं। इसलिए ये मानना बेहद ग़लत है कि हल्के लक्षण वाले लोगों को इलाज की ज़रूरत नहीं होती। हालांकि, किसी भी देश के अस्पतालों के लिए मुश्किल है कि वह सभी मरीज़ों को भर्ती कर लें। सभी देशों को इसे ध्यान में रखते हुए तैयारी करनी चाहिए।

 

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